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Director's Desk

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निदेशक की कलम से......

शिक्षा जीवन का देदीप्यमान आलोक है, यह खुशहाल जीवन मात्र की आनन्दमयी सोपान है। प्रगति और विकास का सन्मार्ग है। यह देश की बौद्धिक, आर्थिक, शैक्षणिक, सामाजिक एवं वैज्ञानिक प्रगति के लिए मानव के व्यक्तित्व में एवं उनकी रचनात्मक क्षमताओं के बहुमुखी विकास की ओर उन्मुख करता है। सदियों से विद्यालय का समाज से अभिन्न सम्बन्ध रहा है। समाज के द्वारा विद्यालय के आवश्यकताओं की पूर्ति होती रही और शिक्षा भी समाज की आवश्यकताओं के अनुरूप प्रदान की जाती रही। दुर्भाग्यवश विद्यालय और समाज के बीच की कड़ी टूटी है। विहार में जहाँ दुनिया के कोने-कोने से लोग ज्ञान प्राप्त करनेा आते थे। ।

नालंदा विश्वविद्यालय के अवशेष आज भी इस बात की गवाही देते है। तयशुदा बात है कि विकास का पैमाना-शिक्षित, समाज ही होता है। इसके बिना हम खुद के अस्तित्व की कल्पना तक नहीं कर सकते। शिक्षा का तात्पर्य है- संपूर्ण प्रतिभा का समग्र उन्नयन, जिसे बच्चे अपनी कल्पनाओं की असीम उड़ान भरते हुए पाता है। जब हम जमीनी हकीकत पर नजर डालते हैं तो पाँव देखकर हलकान हो जाने वाले मोर जैसी ही कसमसाहट महसूस करते हैं। परंतु युग परिवर्तनशील है और उसमें बड़े-से-बड़े जख्म भरने की ताकत भी है। चम्पारण के इस पिछड़े क्षेत्र की शिक्षा जगत को एक नया आयाम देने, मेधावी छात्र-छात्राओं को समकालीन राष्ट्रीय शिक्षा पद्धिति से जोड़ने, सहकारी एवं सहयोग की भावना पर आधारित कुशल प्रबन्ध देने की तथा नन्हें सम्राटों को उनके जीवन के शीर्षस्थ लक्ष्यों तक तन्मयता से पहुँचाने में माँ सुथरा विद्यापीठ अपना एक विशिष्ठ पहचान बनायेग

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चम्पारण के अरेराज अनुमण्डल अवस्थित माँ-सुथरा विद्यापीठ अपने नाम के अनुरूप, विद्यालय परिवार आत्म निर्देशन एवं आत्म अनुशासन के प्रति कटिबद्धं होकर अपने नन्हें सम्राटों में वैज्ञानिक मनोवृत्ति तथा जिज्ञासा को बढ़ावा देकर उन्हें प्रश्न करने तथा उत्सुकता सन्तुष्ट करने के लिए प्रोत्साहित करेंगी। आज के प्रतियोगीपूर्ण माहौले में विद्यालय अपने पवित्र लक्ष्य पर अनवरत कार्य करते हुए हजारी छात्र-छात्राओं के बौद्धिक विकास एवं उनके कैरियर को संवारने में सफल रहेगा और छात्रों एवं अभिभावकों के दिलों पर राज करेगा। अभिभावकों के साथ सहयोगीतिक सम्बन्ध स्थापित कर उनके शिकायत एवं सुझावों को धैर्य से सुनकर उन्हें उनके बच्चों करेगा ब्धियों और कमियों की जानकारी देने को सदैव तत्पर रहेगा। उपल HILA ने.के उज्जवल भविष्य एवं सुयोग्य नागरिक बनने के लिए उसका प्रारम्भिक जुड़व ऐसे विद्यालय से हो, जो अपने सार्थक एवं निष्ठावान, परिवेश स्वच्छ एवं सुसंस्कृत एवं अनुशासित, भयमुक्त एवं प्राकृतिक सौर्न्दयता के बीच अवस्थित हो। जिसके शिक्षकों का समूह वर्त्तमान के प्रति सजग, कर्त्तव्य के प्रति आशावान, पूर्वाग्रह से परे, अनुशासित, समयनिष्ठ, सुयोग्य, अनुभवी एवं बच्चों के क्रियाकलाप को सही दिशा में मोड़ने का सामर्थ्य रखने वाला हो । जहाँ कुशल प्रबन्धन के अन्तर्गत पुस्तकालय, विज्ञान प्रयोगशाला, खेल का मैदान, गोष्ठी, वाद-विवाद प्रतियोगिता, राष्ट्रीय क्रियाकलाप का परिदृश्य, टेलीविजन, अखबार, पत्र-पत्रिका की सार्थकता सिद्ध होती हो। कम्प्यूटर, पेन्टिंग, सिलाई, चित्रकारी, संगीत प्रशिक्षण तथा बागवानी आदि का दैनिक अभ्यास होता हो। इसके साथ ही जहाँ दिनचर्या का औचक निरीक्षण एवं उपलब्धि का विशिष्ट समायोजन होता हो। निःसंदेह वहाँ हमारे बच्चों का भविष्य उज्जवल एवं सफलता की चोटी की ओर अग्रसर होता रहेगा। इस सन्दर्भ में कुशल प्रबन्धन एवं उन्नत तकनीक के द्वारा दमदार ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में माँ सुथरा विद्यापीठ में बच्चों की सही पहचान एवं सही मार्गदर्शन

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हार्दिक सम्मान के साथ,

अनिल कुमार सिंह

निदेशक